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मुक्तक 30

तेरे  जाने  से सब  ये सोचते  है मैं अकेला  हूँ  ,

उन्हें  शायद खबर न हो कि तेरी याद  बाक़ी है .

मैं तनहा कैसे समझूँ मीर इन ख़ाली मकानों को ,

तेरे और मेरे प्रेम का वो सहज संवाद बाक़ी है. .

…atr

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