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मुक्तक

मैं जिन्दगी में मंजिले-मुकाम तक न पहुँचा!
मैं जिन्दगी में प्यार के पयाम तक न पहुँचा!
यादों की डोर से बंधा हूँ आज भी मगर,
मैं अपनी चाहतों के अंजाम तक न पहुँचा!

रचनाकार – #मिथिलेश_राय

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