Site icon Saavan

मुक्तक

मैं कबतक राह देखूँगा तेरे आने की?
तुमको राहे-जिन्दगी में फिर से पाने की!
धीरे धीरे चुभ रही है तन्हाई दिल में,
जाग उठी है जुस्तजू फिर से पैमाने की!

#महादेव_की_मुक्तक_रचनाऐं

Exit mobile version