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मुक्तक

हवा सर्दियों की पैगामे-गम ले आती है!
वक्ते-तन्हाई में तेरा सितम ले आती है!
तूफान नजर आता है अश्कों में यादों का,
तेरी चाहत को पलकों में नम ले आती है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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