तन्हा रात हुई है फिर कुछ होने को है!
किसी की यादों में जिन्दगी खोने को है!
चाँद तमन्नाओं का फिर आया है नजर,
मेरी जुस्तजू इरादों की रोने को है!
मुक्तककार -#मिथिलेश_राय
तन्हा रात हुई है फिर कुछ होने को है!
किसी की यादों में जिन्दगी खोने को है!
चाँद तमन्नाओं का फिर आया है नजर,
मेरी जुस्तजू इरादों की रोने को है!
मुक्तककार -#मिथिलेश_राय