मुक्तक Mithilesh Rai 8 years ago चाहतों की ख्वाहिश फिर से बहक रही है! तेरी बेरुखी से मगर उम्र थक रही है! मेरा सब्र बिखर रहा है बेकरारी से, तेरे लिए जिन्दगी फिर से चहक रही है! Composed By #महादेव