सियासी आदमी हरगिज़ तुम्हारा हो नहीं सकता।
कोई भी मतलबी दुःख में सहारा हो नहीं सकता।
जमीं ग़र रो रही है तो सुनो बस बेबकूफ़ी है-
फ़लक़ का है जमीं का तो सितारा हो नहीं सकता।
ठा. कौशल सिंह✍️
सियासी आदमी हरगिज़ तुम्हारा हो नहीं सकता।
कोई भी मतलबी दुःख में सहारा हो नहीं सकता।
जमीं ग़र रो रही है तो सुनो बस बेबकूफ़ी है-
फ़लक़ का है जमीं का तो सितारा हो नहीं सकता।
ठा. कौशल सिंह✍️