मुक्तक . 6 years ago सियासी आदमी हरगिज़ तुम्हारा हो नहीं सकता। कोई भी मतलबी दुःख में सहारा हो नहीं सकता। जमीं ग़र रो रही है तो सुनो बस बेबकूफ़ी है- फ़लक़ का है जमीं का तो सितारा हो नहीं सकता। ठा. कौशल सिंह✍️