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मुक्तक

मैं जब कभी शाम की तन्हाइयों में चलता हूँ!
मैं अपने ख्यालों की खामोशियों में ढलता हूँ!
जब जिंदगी जलती है हालात की ज्वाला से,
मैं वक्त की दीवारों पर बर्फ सा पिघलता हूँ!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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