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मुक्तक

मेरी जिंदगी गमों से डर पाएगी क्या?
दिल में ख्वाहिश गैऱ की कर पाएगी क्या?
सब्र अभी जिन्दा है जख्मों को सहने का,
वस्ल से पहले तमन्ना मर पाएगी क्या?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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