मुक्तक Mithilesh Rai 6 years ago आज भी तेरी जिग़र में आरज़ू जवां है। आज भी निगाह में ख्व़ाबों का कारवां है। उल्फ़त के समन्दर में तूफ़ान हैं लेकिन- मुसीबत में ठहरने का हौसला रवां है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय