आज की रात तन्हा नम सी है!
जिस्म में जिन्द़गी कुछ कम सी है!
ख्वाब बेशुमार हैं फिर जागे हुए,
पलक में चाहत भी शबनम सी है!
Composed By #महादेव
आज की रात तन्हा नम सी है!
जिस्म में जिन्द़गी कुछ कम सी है!
ख्वाब बेशुमार हैं फिर जागे हुए,
पलक में चाहत भी शबनम सी है!
Composed By #महादेव