मुक्तक Mithilesh Rai 6 years ago तेरी गली से आज फ़िर होकर गुज़रा हूँ। तेरी गली से आज फ़िर रोकर गुज़रा हूँ। आवाज़ दे रही थी मुझे तेरी तिश्नगी- तेरी गली से दर्द को छूकर गुज़रा हूँ। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय