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मुक्तक

जमीं वही है मगर लोग है पराये से
जो मिल रहे है लग रहे है आजमाये से!
शफक नही नकॉब में फरेब है मतिहीन
सभी दिखते मुझे हमाम में नहाये से!!
उपाध्याय…

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