मुक्तक Manoj 8 years ago विविध उलझनों में जीवन फंसा हुआ है किंचित ही दिखने में सुलझे हुए है लोग | स्वार्थ की पराकाष्ठा पर सांसे है चल रही अपने बुने जंजाल में उलझे हुए है लोग || उपाध्याय…