मुक्तक 9 Abhishek Tripathi 9 years ago लहरा रहा है सामने यादों का समंदर , जो डूबना भी चाहूँ तो किस किनारे से.. मेरे इश्क़ की दास्ताँ बस इतनी है, तलाश हमसफ़र की थी मुकाम तन्हाई का मिला. …atr