मुक्तक Laljee Thakur 8 years ago न मैं तुलसी जैसा हूँ ,और न मैं खुसरो जैसा हूँ, मेरी कल्पना अपनी है ,सच नहीं दुसरो जैसा हूँ । हम सभी एक ही ग्रन्थ के ,हाँ हर पन्नो सिमटे है, छन्दों में जो सिमट जाऊ तो,सुंदर बहरो जैसा हूँ ।। लालजी ठाकुर