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मुक्तक

उम्र गुजर जाती है इंसान को समझने में!

जिन्दगी थक जाती है जहाँन को समझने में!

खो जाती है लहरों में कश्तियाँ इरादों की,

डूबता है काफिला तूफान को समझने में!

 

Composed By #महादेव

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