जर्रा हूं मैं आकाश नहीं,
आकाश तले ही रहने दो।
पिंजर हूं कोई मोम नहीं,
पत्थर सा मुझे यूं रहने दो।
आतिश हूं मैं आफताब नहीं,
जलता बुझता सा रहने दो।
कब से जी भर कर रोया नहीं,
मुझे आंसू बनकर बहने दो।
बिन पंख परिंदे जैसा हूं,
मुझे अपने हाल पर रहने दो।
एक खलीश से मेरे सीने में,
उस खलिश मैं मुझको जीने दो।
बिन तेरे मैं एक जिस्म हूं बस,
मुझे रूह बिना ही रहने दो।