वक्त निकल गया निगाहों से निगाहें मिलाने में,
सफर में एक दूजे को समझने -समझाने में,
परिचय तो पहली मुलाक़ात में हो गया मगर,
ढूढ़ते रहे हम खुद को अपने ही मकानों में।।
राही (अंजाना(
वक्त निकल गया निगाहों से निगाहें मिलाने में,
सफर में एक दूजे को समझने -समझाने में,
परिचय तो पहली मुलाक़ात में हो गया मगर,
ढूढ़ते रहे हम खुद को अपने ही मकानों में।।
राही (अंजाना(