Site icon Saavan

मुहब्बत के नशे में

मुहब्बत के नशे में
चूर रहना चाहता हूँ
ए जिन्दगी मैं
नफ़रतों से दूर रहना चाहता हूँ।
इंसान हूँ, कमियां भी हैं,
अच्छाइयाँ भी हैं,
मगर जैसा भी हूँ
इंसानियत को पास रखना चाहता हूं।
जा चुका दूर मैं जिनसे
उन्हें अहसास हो जाये
मैं लौट करके फिर उन्हीं के
पास आना चाहता हूँ।
घुटन है नफ़रतों में
प्यार में सौंधी महक है दोस्तों
उस सुरीली हवा में
सांस लेना चाहता हूँ।

Exit mobile version