मुहब्बत पवित्र है
पवित्र से भी पवित्र है,
अनुपमेय है,
वह बंट नहीं सकती,
सच्ची की मुहब्बत
कभी घट नहीं सकती।
न दिखावा इसमें
न औपचारिकता,
मुहब्बत देखती है बस
वास्तविकता।
मुहब्बत जीवनोदक है
इसका दुश्मन शक है,
आत्मश्लाघा का कोई स्थान नहीं
बिना इसके तन में
सच्ची जान नहीं।
ईक्षण की ज्योति है यह
जिन्दगी का रस है यह,
यह अधर की लालिमा है,
चाहत किसी लालच बिना है।