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मृदुल छवि

तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पे जो गुस्सा रहता है
जैसे हर गुलाब की हिफाजत में कांटा रहता है

जंगल में किसी कस्तूरी हिरन सी लगती होगी
जब अपने पायल की खनक से तुम खुद डर जाती होगी

वो और होंगे जिन्हें नीद आ जाती होगी
तुम तो रात के सन्नाटे से ही जग जाती होगी

रास्ते में फूल बिछा भी दिए जाएं
पर कहीं फूलों की चुभन से छाले न पड़ जाए

✍️ रोहित

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