जो हल जोते फसल उगाये उसे
उसकी किमत नहीं मिलती
जो मजदुर उत्पाद बनाय
उसे उसकी कीमत नहीं मिलती
भूख और लाचारी का ऐसा आलम है
अब जान सस्ती है रोटी नहीं
जात और धर्म का ऐसा टॉनिक खिलाया जाता है
कि किसी बच्ची या कोई व्यक्ति मौत में धर्म नज़र आता है
महात्मा को मारने वाले की पूजा करने वाले
उन्ही के नाम पर डींगे हाँकते है
देश में बेरोज़गार बर रहे है
पर नेताओं के आम खाने के तरीके सुर्खिये बटोरते है
व्यक्ति के क्रय छमता कम होने की वजह से
कारखाने बंद हो रहे है
अविव्यक्ति की स्वतंत्रता दाव पड़ है
देश प्रेम के दिखावे मे जेट प्लेन को निम्बो मिर्ची का चोखा लगाना पड़ रहा है
कवि हु प्यार और वेदना की सिर्फ नहीं लिख सकता हु
मेरा देश जल रहा है और देश को पाकिस्तान से सिर्फ नहीं
यह अंदर से टूट रहा है