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मेरा ये हुक्म है सांसों

ताज़ा गज़ल-

 

मेरा ये हुक्म है सांसों::Er Anand Sagar Pandey

 

मेरा ये हुक्म है सांसों कि एहतियात रहे,

वो रहे ना रहे ता-उम्र उसकी बात रहे l

 

 

वो क़मर हो के मेरी ज़िन्दगी में रौशन हो,

तो इल्तज़ा है कि मुकद्दर में मेरे रात रहे l

 

 

वो अपने क़ल्ब में गर मेरे लिये नफ़रत पाले,

तो मेरे क़ल्ब में बस उसका इल्तिफ़ात रहे l

 

 

ज़ुस्तज़ू ये तो नहीं है कि मौत आये ना,

आरज़ू है कि पहलू में मगर हयात रहे l

 

 

वो जिस लम्हे में सिमट जाये मेरी बाहों में,

उसी लम्हे में मेरी बाहों में क़ायनात रहे l

 

 

मैं फलक़ की बुलन्दी का तलबगार नहीं “सागर”,

मैं क़ातिब हूं फक़त इतनी ही मेरी औकात रहे ll

 

Word meanings-

 

एहतियात=सावधानी

हुक्म=आदेश

क़मर=चांद

इल्तज़ा=आग्रह

मुक़द्दर=भाग्य

क़ल्ब=दिल/आत्मा/मन

इल्तिफ़ात=मित्रता/प्रेम

हयात=जीवन

क़ातिब=लेखक

 

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-Er Anand Sagar Pandey

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