कहीं लाऊं मैं खुशियां
कहीं खुशनुमा माहौल लाती हूं
कभी लिखती हूं कविताएं
कभी भजन गुनगुनाती हूं
चहुंओर बरसे प्रेम, स्नेह
ऐसी बहार लाती हूं
हो रही स्पर्धा में
अपनों को जिताने में
चलो मैं हार जाती हूं
मेरी ख्वाहिश इतनी सी
सभी का स्नेहिल
आभार चाहती हूं
__✍️ एकता