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मेरी गज़लों में तुझे

**मेरी गज़लों में तुझे ढूढ रहे हैं ज़माने वाले**

 

मेरी गज़लों में तुझे ढूढ रहे हैं ज़माने वाले,

अब कहां तुझको छुपाऊं छोड़ के जाने वाले l

 

 

कोई तो है जो इस खामोश उदासी का सबब है कहकर,

सौ क़यास लगा लेते हैं लगाने वाले l

 

 

कल तुझे भूलने की कोशिश में यूं याद किया था मैने,

कि रो पड़े थे तेरे खत वो पुराने वाले l

 

 

स्याह रातों में तेरी गज़लों की तड़पती आह सुनी है हमने,

मुझको ऐसा भी बताते हैं बताने वाले l

 

 

इक बात बताता हूं तुझे आसान से लफ्जों में,

तेरी याद बहुत आती है भुलाने वाले l

 

 

बड़ी मुश्किल से सम्भल पाया हूं बिछड़कर तुझसे,

फ़िर कभी लौट ना आना तू ऐ जाने वाले l

 

 

रोज ढलता हुआ दिन मुझसे जताता है कि,

तेरी यादों में बचे हैं दिन वो सुहाने वाले l

 

 

तू यूं छुप-छुप के मेरी गज़लें ना पढा कर वरना,

मेरा हर राज़ समझ जायेंगे ज़माने वाले ll

 

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-Er Anand Sagar Pandey

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