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मेरी चाहत

तुम हो मेरी चाहत,
यह तुमने भी तो है माना।
अगर तुम न हुई मेरी तो,
कुछ भी कर सकता है दीवाना।

दिल के करीब फिर भी कितनी दूर हो।
दुनिया से या फिर खुद से मजबूर हो।
आ जाओ मुझमें समा जाओ,
मुश्किल है बगैर तेरे जीवन बिताना।
अगर तुम न हुई मेरी तो,
कुछ भी कर सकता है दीवाना।

जाने कब बनोगी मेरी दुल्हन।
जाने कब सजेगा मेरा अंजुमन।
मेरे विरान इस जहान को,
अपने हाथों से तुम सजाना।
अगर तुम न हुई मेरी तो,
कुछ भी कर सकता है दीवाना।

देवेश साखरे ‘देव’

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