मेरी छः महीने की गुड़िया
आज लगी है स्वयं पलटने,
हूँ, हाँ, करती, हाथ उठाती
धीरे-धीरे लगी समझने।
अगर गोद मे नहीं उठाओ
तो लगती थोड़ा सा रोने,
प्यारी सी लोरी गाते ही
मीठी नींद में लगती सोने।
मम्मी का दुद्दू पीती है,
दादी की गोदी सोती है,
दीदी की चीजों को झट से
अपने हाथों में लेती है।
जिज्ञासा हर चीज में उसकी
सब कुछ मुँह में ले जाती है,
इधर घुमाओ, उधर घुमाओ
नहीं घुमाओ तो रोती है।