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मेरी बिटिया

मेरी बिटिया
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नन्ही मुन्नी गुड़िया सी,
मीठी-मीठी पुड़िया सी ।
बातें करती गपर- गपर।
वो हंसे तो खिलती धूप मगर।
लड़ ती, भिड़ती, रोती ,हंसती जैसे धूप- छांव हंसती खिलती। लड़ने में रानी झांसी है,
हंसने में ना कोई सानी है ।
जब बोले तोजैसे फूल झड़े ,
जब रोए तो आंसू अनमोल लगे मेरे दिल की वह तो रानी है, मेरी बिटिया बड़ी सयानी है।
नन्हीं है लेकिन मददगार ,
करने को हर काम तैयार।
मेरे माथे पर जब पड़े शिकन, बेचैनी में आ जाती है,
वह चैन नहीं पा पाती है,
जब तक नाआती मुझे हंसी, रुआंसी सी हो जाती है ।

बैचैन बहुत हो जाती है।
वह मेरी दिल की रानी है,
मेरी बिटिया बड़ी सयानी है
निमिषा सिंघल

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