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मेरे अस्तित्व

मेरे अस्तित्व
के इर्दगिर्द
बैठे है
कई जाल मकड़ी के
भेदना असंभव
मगर प्रयास अनवरत

मेरे सत्य
के इर्दगिर्द
बैठे है
असत्य के पंछी
उड़ाना असंभव
मगर प्रयास अनवरत

मेरे मन
के इर्दगिर्द
बैठे है
अहंकार के पशु
भगाना असंभव
मगर प्रयास अनवरत

मेरे कामना
के इर्दगिर्द
बैठे है
भाग्य के दानव
हटाना असंभव
मगर प्रयास अनवरत

मेरी आत्मा
के इर्दगिर्द
बैठा हूँ
मैं स्वयं
निहारना संभव
पर प्रयास अतृप्त

राजेश’अरमान’

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