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” मेरे माधव ही नहीं आप सब “

मेरे माधव ही नहीं आप सब …

राह – ए – क़ामयाबी में , मेरी तरह एक मुसाफ़िर भी  हो ….

भरने फ़लक – ए – क़ामयाबी पर ऊंची उड़ान ……

मेरे संग उड़ने वाले तायर हो …

जिल्ले – सुभानी – ए – अल्फ़ाज़ हो …..

और सुखनवरी की दुनिया के क्या बेहतरीन सुख़नवर हो …. ….

 

पंकजोम ” प्रेम “….

 

तायर – पंछी

जिल्ले – सुभानी – सम्राट

सुख़नवर – शायर , कवि

सुखनवरी – शायरी , कविता

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