Site icon Saavan

मेरे सफिनों का नाखुदा हो

मेरे सफिनों का नाखुदा हो , जो तूफानों का तलबगार न हो
मुझे ऐसा चराग बना दे जो हवाओं का कर्ज़दार न हो

मेरे हिस्से की हर शे पे लिख दिया तेरा नाम आखिर
गिला करें वो हरदम और तेरा तरफदार न हो

ऐसा कोई सौदा न हो और कोई सौदाई भी न हो
बिक जाएँ जहाँ मेरी वफ़ा ऐसा कोई बाजार न हो

ज़ीस्त की राहों में ऐसा किसे नसीब गुलशन
फूल की चाह हो और हाथों में खार न हो

मत ओढ़ के सो जाना चादर किसी वीरानी की
कौन समझेगा इसे कहीं हस्ती तेरी शर्मशार न हो

न हो ऐसा कोई लम्हा मेरी किस्मत में ‘अरमान’
ख्वाब देखूं तो तेरे चेहरे का दीदार न हो

राजेश ‘अरमान’

Exit mobile version