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मेरे साकी

Glasses-of-wine-002

तुम्हारी चाह ही मंज़िल हमारी ए मेरे साकी,
ज़रा अब तो पिला दे न , तमन्ना अब भी है बाक़ी.
मेरे साकी तेरे आँखों की मदिरा क्या बताऊँ मैं,
फ़क़त आँखों से चढ़ती है ,मगर दिल तक उतरती है ,
उतरना फिर भी वाज़िब था मगर अब ये लगा है कि,
उतरकर भी ये चढ़ती है , और चढ़ के फिर उतरती है .

 

…atr

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