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मैंने जिंदगी को करीब से देखा है!!

मैंने सपनो को टूटते हुए देखा है

मैंने अपनों को रूठते हुए देखा है

मेरी क्या औकात है तेरे सामने

ऐ जिंदगी

मैंने तो अपने आप को हे अपने आप से टूटते हुए देखा है

– मनीष

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