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मैंने तय किया है

कतरा-कतरा करके समन्दर निकाल दूंगा मैं,

मैने तय किया है अपनी आंखें खंगाल दूंगा मैं ll

मेरे सदमों का सबब तुम हो ये राज राज रहेगा,

कोई गर पूछ भी लेगा तो टाल दूंगा मैं ll

मुहब्बत, रूसवाई, तन्हाई फ़िर नफ़रत और नाले,

ना जाने इस दिल को और  कितने मलाल दूंगा मैं ll

सुना है तुझमें डूबकर भी मौत आती है ऐ “सागर”!

तो इस दिल को एक दिन तुझमें उछाल दूंगा मैं ll

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         -Er Anand Sagar Pandey

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