Site icon Saavan

मैं कुछ बोल नहीं सकता

मैं कुछ बोल नहीं सकता ;
…. …………….तुम्हारा दिया हुआ जख्म;
किसी के समाने खोल नही सकता।
जब बहती पुरबा हवा बहुत दर्द होती;
पर मै रो नही सकता ।
क्योंकि आँसु को बनाए है दुल्हन ;
मै कैसे खो सकता; ( रो सकता)
ए पुरबा हवा—-
थोड़ी अपनी रुख बदल जा पश्चिम की ओर ;
. मेरी दर्द की दास्ताँ सुना उसे जाके
कही फितरत बदल जाय।
मैं रो नही सकता खो नही सकता।
आँसु को बनाए है दुल्हन मैं रो नही सकता।।

ज्योति
mob 9123155481

Exit mobile version