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मैं तुझे अपनी वफाओं की दुहाई नहीं दूंगा

तेरी कलम को कभी अपनी रुबाई नहीं दूंगा,
मैं तुझको चश्म-ए-नम की कमाई नहीं दूंगा l

तेरी आंखों में वहम के कई पर्दे टंगे हुए हैं,
मैं तुझे सामने रहकर भी दिखाई नहीं दूंगा l

अभी गुरूर तेरे सर पे चढ के बोल रहा है,
ऐसे हाल में मैं तुझको सुनाई नहीं दूंगा l

तू बेफिक्र होकर अपनी फितरतों से वफ़ा कर,
मैं तुझे अपनी वफाओं की दुहाई नहीं दूंगा l

तेरा जो फ़ैसला है बेझिझक मुझको बताती जा,
मैं बेकसूर हूं मैं कोई सफ़ाई नहीं दूंगा l

तू मुझे अपनी जिन्दगी से रिहा कर भी दे मगर,
मैं तुझे अपनी जिन्दगी से रिहाई नहीं दूंगा ll

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-Er Anand Sagar Pandey

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