मैं लिखता हूँ मोहब्त पंकजोम " प्रेम " 8 years ago मैं लिखता हूँ मोहब्त को … मोहब्त की कलम से…. मैं भरता हूँ अपने ज़ख्मो को .. उसकी यादों की मरहम से… कुछ ही महफूज़ बची हैं , सांसे मेरी …. मैं ज़ी रहा हूँ आज … तो बस उसकी दुआओं के रहम से… पंकजोम प्रेम