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“मैं”-१

वक्त की कलम से जिन्दगी के हँसी पल लिखने जा रहा हूँ मैं,
गमों की परछाई पर खुशियों के साये सा छाने जा रहा हूँ मैं,
गर समझ हो तो आ जाना मेरे साथ , वरना अपना ही साथ आजमाने जा रहा हूँ मैं,

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