मैदान ए जंग bhoomipatelvineeta 6 years ago ज़िन्दगी की जंग के मैदान में, तुम भी खड़े हो मैं भी खड़ी हूँ। फ़र्क है तो इतना की मैं किसी को मारना नहीं चाहती, और तुम किसी और से मरना नहीं चाहते।