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मै और तुम

था आंखों मै तेरी जादू
या नज़रों का मेरी कसूर था।
हां मेरे दिल ने तुम्हें चाहा
पर तुमको भी ये मंजूर था।।

गुमशुदा गर मै हुआ कभी
तो , वो तुम्हारा ख्याल था।
तुम्हारे चेहरे की हर हंसी पर
बस मेरा ही तो नाम था।।

हां दोनों थे नादान तब
हर ग़म हमसे अंजान था।
बचपन था वो बड़ा हसीन
खुशियों भरा जहान था।।

मिलते रहेंगे ये वादा करके
तब छूटा हर जज़्बात था।
अपने अपने सपनो के लिए
फिर टूटा साझा ख्वाब था।।
AK

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