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मै जब से तेरी एक तस्वीर बनाने में वयस्त हूँ

मै जब से तेरी एक तस्वीर बनाने में वयस्त हूँ,
मैं तब से अपने ही ख्यालों में वयस्त हूँ,

रंग तो बहुत हैं ज़माने में मगर,
मैं इंद्रधनुष के रंग छुड़ाने में वयस्त हूँ,

चाँद है सितारे हैं आसमाँ रौशन है मगर फिर भी,
मैं अपने ही घर के जुगनू जलाने में व्यस्त हूँ।।
राही (अंजाना)

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