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मोहन

राधा ने प्रेम किया
मोहन को टूट कर,
फिर भी चले गए मोहन
राधा का दामन छोड़कर।
क्या प्रेम का यही अर्थ है!
क्यों विरह का
सामना करना पड़ता है?
क्यों वेदना की लौ में
मोहब्बत को तपना पड़ता है?

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