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मोहब्बत बिमारी या शिकार

तबाही का मंज़र इस कदर देखा हैं_
रूह गुम रही जिस्म बेजान देखा हैं_
कोई तफ्तीश करों मोहब्बत की यारों की
वो दिवानों को बिमार करती हैं या शिकार_
-PRAGYA-

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