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मोहब्बत

तुम आए भी ओर चले गए
मोहब्बत की सजा दे ही गए
ना इजहार किया ना इकरार किया
बस खामोशी से दिल को तार तार किया
गलती तुम्हारी नही हमारी है
जो अपनी बेवफा किस्मत पर
फिर से ऐतबार किया

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