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मौत की इच्छा

मेरी कब्र को बनाना
शमशान की दहलीज पे
सुना है वहां सब
अच्छे लोग रहते हैं
मुझे देना है पहरा
उन सभी काफिरों से
जिन से दुखी ये
जिंदा लोग रहते हैं
जीवन भर गालियां देते हैं
जिस व्यक्ति को
मरने के बाद तो अच्छाई
ढूंढ ही लेते हैं
जीवन गाथा की
खोद कर खाईयाँ
अच्छाई की कहानियां
को बोल लेते हैं
पर मैं भ्रमित ना होंगी
अच्छाइयों के झूठी कहानियों से
मैं तो कर्मों का
पूरा ब्यौरा लूंगी
जिसका हृदय प्रेम का घोतक
बस उसी को
श्मशान के भीतर लूंगी
जिंदा बस्ती से लेकर अच्छाई
श्मशान में लाके समेटूगीं
सभी बुराई से दूंगी पहरा
इन्हीं कभी दुखी ना होने दूंगी
जब जिंदा थे तो सुख ना मिला
मैं मौत हूं मरने पर सुख दूंगी

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