Site icon Saavan

मज़हब

कोई करतब कोई जादू नहीं दिखना होता है,
बस मज़हबी दीवारों से बाहिर आना होता है,

मुश्किल ये नहीं के बस दायरें बाँधे हैं दरमियाँ,
हमें खुद के ही दिल को तो समझाना होता है,

खुदा रब भगवान के आँगन की तो नहीं कहता,
पर माँ के दर पे राही सबको सर झुकना होता है।।

राही अंजाना

Exit mobile version