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यथार्थ =दोहे

बिन मतलब कोई नहीं, करता देखो बात
अहंकार का संग है, बड़ी भयानक रात
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बूढो से कोई नहीं, करता देखो बात
बात बात में हो रहे, कैसे कैसे घात
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दुख सुख अब बांटे कहाँ, व्यस्त हुए सब लोग
अपनी राग अलापने, का लगा भारी रोग

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