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“यादें “

शब भर यादें तिरी शबनम सी दिल को भिगोती रहीं_

दूरियाँ इस कदर दरम्यां हमारे सिमट गई की मैं छूती रहीं हर याद तिरी वो अब्तर हो बिखर गई_

-PRAGYA-

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